Thursday, February 6, 2014

small ones...

Aur kahan jayenge hum, gum bhi ruswayiyan bhi yahan
Fakat rohon ka fark hai ghalib, mera toh khuda yahan khudaiyan bhi yahan

Har aashiq ka yehi fasana hai, har chot pe bass muskarate jana hai...

Mere khuda tu mijh pe itna aitbaar na kar
Meri wafa, mere junoon ko darkinar na kar
Aisa na ho ki main khuda hi badal doon
Tu har pal mujh pe yun atyachaar na kar


Jee karta hai kuch bewakoofiyan kar jaye
Waqt rehte duniya se lad jayen
Hum ek baar ko fir bhi ruswaiyan mol le leen
Agar woh izhare muhabaat kar jayen

mere khuda maaf karna....

Mere khuda maaf karna jo main yeh khata kar doon
Bewafa jo apne mehboob ko bayan kar doon

Kya hua jo woh chor gaye rah main akela hamme
Kya sirf is binah pe main unhe na-khuda kar doon

Aur kya karenge bayan yeh nazare unko, unki zad ko unki kathnaiyon ko, Pata hai mujhe mera khuda hai woh
Aasman se aane walon ko kyun main ruswa kar doon

Lab jo khulte the ibadat main unke
Kabhi pyar main, kabhi ruswaiyon main
Janta hai khuda mera, niyat ko meri
Us pari ke kadamon main yeh jahan kar doon
Mere khuda maaf karna jo main yeh khata kar doon...
Mere khuda maaf karna jo main yeh khata kar doon....

Friday, September 30, 2011

धोखा

धोखा देने वाले तुने अच्छा सबक सिखलाया है
चीन के सब कुछ मेरा तुने, मुझे येही सिखलाया है,
प्यार से मिलना, प्यार से रहना, करना प्यारी बातें तुम ।
जीना, मरना चाहे साथ मैं, पर न करना भरोसा तुम,
चाहे रोष जितना हो मन मैं, पर चेहरा सुखी दिखलाना तुम
और मतलब निकल जाने पर, " कौन हो " दोहराना तुम,
अच्छा है या है यह बुरा, पर तुमने करके दिखलाया है ।

धोखा देने वाले तुने अच्छा सबक सिखलाया है....

Wednesday, August 31, 2011

चल दिया...!!

किया था जिस पर भरोसा, वोह दगा दे चल दिया ...

दोसत समझा था जिसे, वोह हमें, दुश्मन बना कर चल दिया ।
अपना समझा था जिसे, वोह गैर कह कर चल दिया ।
खज़ाना जिसको दिया था, हमने ज़िन्दगी का तमाम, वोह,
खज़ाना समेट कर यु मुस्करा कर चल दिया
पीठ थप थापैयी थी हमने जिसकी कभी, वोह पीठ पर हमारी खंजर जमा कर चल दिया ॥

किया था जिस पर भरोसा, वोह दगा दे चल दिया...

ऐएब हजारों जिसके कबूल, और ज़ख़्म दे वोह भी कबूल,
अपने तमाम ज़ख्मो को वोह, नासूर बना कर चल दिया ।
जिसे समझते रहे तह ज़िन्दगी हम, वोह न समझ बन मुस्कुरा चल दिया,
बन्ने मैं जिसके न रख्खी कोई कसर , वोह देखो हमें ही को बना कर चल दिया ॥

किया था जिस पर भरोसा, वोह दगा दे चल दिया...

दिए जिसके नाम के जलाये थे जहाँ मैं, वोह दिया देखो, हमारा ही आशियाँ जला कर चल दिया ।
गुरुर था जो हमारा, वोह गुरुर हमारा, मिटटी मैं मिला कर चल दिया ।
साथ दिया था हमने जिसका मुसइब्त मैं, वोह मुसीबत मैं हमारी हाथ छोड़ा कर चल दिया ॥

किया था जिस पर भरोसा, वोह दगा दे चल दिया...

खुशियाँ मांगी थी जिसकी, वोह ग़म लगा कर चल दिया ।
दुनिया मैं बनाना है मुश्किल, और गिराना है आसान,
कोशिशें करने से मिलते है, ज़मीन और आसमान ।
खओवैशैं हमारी तिनके सी थी, और नहीं थी तमाम,
तिनका हमारी ज़िन्दगी का, वोह मिटा कर चल दिया ॥

किया था जिस पर भरोसा, वोह दगा दे चल दिया....

ज़िन्दगी खुशाल थी, साथियों संग बहल थी,
दोस्तों की थी दुनियां, दोस्तों पर निहाल थी ।
था भरोसा उन पर यु, की जैसे कोई चट्टान थी,
पर हुआ क्या, क्यूँ और यह कैसे हुआ ?
एक दिन बॉस यूँ ही, वोह मुह उठा कर चल दिया ॥

किया था जिस पर भरोसा, वोह दगा दे चल दिया...

पर अगर है खुदा, और उसी की दुनिया है यह, तोह वोह भी वापिस आएगा ।
प्यार से कहने को यह, नहीं मिला मुझे दुनिया मैं बेहतर कोई मुझे अब तक जहाँ मैं ,
माफ़ करना मुझे ए दोसत मेरे, मुझे नहीं पता मैं क्यूँ यु सब भुला कर चल दिया ॥

किया था जिस पर भरोसा, वोह दगा दे चल दिया...

ए खुदा तुझसे मैं मांगता हूँ बस इतनी सी दुआ, खुश रहे वोह सदा ।
आबाद रहे अपनी दुनिया मैं वोह, खुशियों भरा हो उसका जहाँ,
न मिले उसे अपना कोई, जोह हो जग से जुदा ।
और न ही कभी मझधार मैं कोई दे उसको दगा, कहना न पड़े उसे कभी की ....

किया था जिस पर भरोसा, वोह दगा दे चल दिया.....
किया था जिस पर भरोसा, वोह दगा दे चल दिया....



Thursday, August 18, 2011

ज़िन्दगी के निर्णय...

जीवन मैं कई बार, ऐसे मुकाम आते हैं,
जब दिल कहता है कुछ, और दिमाग कुछ फरमाते हैं ।
उस पल के निर्णय, एक नयी दिशा दिखलाते हैं,
शायद येही हैं वोह पल, जो ज़िन्दगी बनाते हैं ॥

Jab tak the tum jeevan main mere,sab kuch naveen sa lagta tha….

ए थे जब तुम जीवन मैं, कुछ अजीबो garib सा लगता था,
मैं था मस्त अपने मैं, तुम्हारा आना मुझे अखरता था ।
चिंता नहीं थी तुम्हारी मुझे, क्यूंकि तब सब कुछ चलता था,
करता था सब मैं दिल से, कभी न किसी से डरता था ॥
पर फिर देखि चाहत तेरी, कुछ करने को बेताब सी,
जीवन मैं कुछ बन्ने को, भरने को ऊँची उड़ान सी,
तेरे सपनो को देख के मैं, कभी खुद पे ही बिगड़ता था,
सोचता था क्यूँ जीवें मैं मेरे, नहीं कोई ऐसी तमन्ना है,
क्यूँ जीवन मैं कुछ बन्ने को, मेरे दिल नहीं करता है,
तेरे सपनो के ज़रिये ही, मैंने कुछ करने का सोचा था,
तेरे माँन की चाहत को , पूरा करने का सोचा था ॥

जब तक थे तुम जीवन माँइन, सब कुछ नवीन सा लगता है...

याद है मुझे वोह दिन, जब तुम थोडा दर जाते थे,
लक्ष्य भूल, जाने क्यूँ किस विचार मैं खो जाते थे ।
पर मैं कभी भूला नहीं, की तुम्हारी भी कोई मंजिल है,
ले आया राह पर तुमको मैं, चाहे लेनी पड़ी मुझे बुरे है ॥

पथ पथ पर सोचा करता था, आखिर क्यूँ हूँ सख्त मैं,
मैं क्यूँ अइसा करता हूँ, कर सकता हूँ सब आसान मैं ।
पर जानता था मैं जीवन मैं, आसान होता कुछ भी नहीं,
बिन सहे कोयला भी, बनता कभी हिरा ही नहीं ॥
हर बार तुम्हारी शोहरत को देख, दिल यह कह उठता था...

जब तक थे तुम जीवन मैं मेरे, सब कुछ नवीन सा लगता था....

कोषइश की मैंने पूरी, के तुम आगे बड़ते रहे,
गिरे तुम, संभले भी तुम, लेकिन फिर भी चलते रहे ।
बैठे लड़ कर हर बार हम, लेकिन सब कुछ सुलझा लिया,
सरे गिले शिकवे भूल कर हमने, आगे को कदम बड़ा लिया ॥
मअहनत थी तुम्हारी, हिम्मत थी, हमारा तोह सिर्फ साथ था,
सुर थे तुम्हारे, गीत थे, हमरअ टीओह सिर्फ साज़ था ।
अच्छा लगता था हमें भी, जब नाम तुम्हारा होता था,
मेरा नहीं तेरा ही सही, पर नाम हमारा होता था ॥

जब तक थे तुम जीवन मैं मेरे, सब कुछ नवीन सा लगता था...

हम टीम थे, परिवार थे, यह देख के अच्छा लगता था,
तुम्हे आगे बढता देख, मुझे बहुत बल मिलता था ।
सीखता था नित नवीन कुछ, जो मुझे अंजना सा लगता था,
अपने जीवन मैं ढलने की, कोशिश मैं हआर पल करता था ॥

वक़्त ने दिया था जब धोखा मुझे, और मेरा जीवन उजाड़ गया,
मेरे जीवन का वृक्ष जब, जड़ से ही था उखड गया ।
जब वेदना जीवन के मेरे, कण कण मैं थी बास गयी,
और मायूसी जीवन मैं मेरे, मेरी श्रृष्टि सी थी बन गयी ॥
तब भी थे तुम वहां खड़े, मेरे परिवार के जैसे ही,
हर पल कहते थे मुझसे ही, काम की करो तुम फिकर नहीं ।
तुम्हारे भरोसे सब चोर कइ मैं, तब निश्चिन्त सा होता था...

जब तक थे तुम जीवन मैं मेरे, सब कुछ नवीन सा लगता था....

फिर एक वक़्त आया ऐसा भी, जब तुम हम से थे कट से गए,
न bola कुछ भी कभी hamme, bas dusron से ja mil गए
shayad याद तुम्हे था नहीं, जो kasht diye थे unhone कभी,
और aapne unhi का पथ, hamse prathak ho pakad लिया,
पर is सब मैं न jane क्यूँ, aapne hamme क्यूँ jakad लिया,
badnami di kai बार hamme, जैसे की saap ने daas लिया,
kahan से laye thइ, itna zehar bhar bhar के तुम
जो tumne je bhar के मुझ पर ugla था,

मैंने फिर भी कुछ kaha नहीं, सब कुछ u ही seh गया,
तुम्हे तुम्हारे सपनो sang chod, मैं आगे को nikal गया ।
यह soch मैं फिर भी था kush, के परिवार मैं सब कुछ अच्छा है,
naraz hua तोह kya hua, apna ही तोह baccha है ॥
Naraz है humse abhi, पर door kahan वोह jayega,
जब mann hoga shant uska, vapas laut वोह aayega ॥
पर फिर भी दिल के kone मैं kahi, दार बहुत सा लगता था...

जब तक थे तुम जीवन मैं मेरे, सब कुछ नवीन सा लगता था...

जब kasht होता था तुम्हे कभी, दर मुझे भी लगता था,
sehat की sada रही, fikr तेरी, पर मैं न कभी यह kehta था .
bimaar hue जब भी तुम, मैं भी roya करता था,
tadap raha है मेरा कोई, हर पल मैं सोचा करता था ॥
जब तक न mile khabar teri, मैं bechain सा rehta था,
मैं चाहे mil न sakun, पर auro को bheja करता था ।
पर meri इन baton को, jane के tumne samjha था,
bimaar hone पर भी tumne, मुझे kahi का न choरा था,
मैंने फिर भी di dua तुम्हे, कोशिश की मैं की परिवार toote नहीं,
पर tumne kiya wahi, जो लगता तुम्हे ही अच्छा था ॥

जब तक थे तुम जीवन मैं मेरे, सब कुछ नवीन सा लगता था...

याद aata है मुझे दिन wahi, tarif hui थी तुम्हारी kai,
पर तुम्हे pata है नहीं, us से pehle मैंने भी,
baat kari थी unse kai, kaha था unse की, तुम मेरी नहीं sunte ho,
prashansa karu जो मैं तुम्हारी, तुम use नहीं ginte ho ।
कुछ shabd tarif के भी, jod lena मेरी aor से ही
Samman hua था अच्छा, तुम्हे us पल को jeene को
मैं jaan कर भी न था वहां, कोशिश थी तुम khush रहो
Isliye tasveer तक से raha juda,
Aise kai, बहुत से kisse hain, जो मैंने तुम से नहीं kehne थे,
मेरी maun सी mahnat के, यह तोह bas कुछ gehne थे,
यह anmol moti, mann के gehre sagar मैं ही rehne थे
तुम्हे नहीं dikhlata मैं, और कभी न कुछ भी kehna था ॥

जब तक तुम थे जीवन मैं मेरे, सब kuch नवीन सा लगता था...

एक दिन ऐसा आया भी, जब usne मुझ को bhula दिया,
bola बहुत कुछ bura मुझे, मुझे neecha dikha दिया,
नहीं chora kahi का मुझे, sabke samne zalil kiya,
जो naata rishte bane थे कभी, वोह सरे usne tod diye,
और कभी करने को baat, सरे ही raste rok diye,
मैंने फिर से tasalli की, के baat नहीं है badi कोई,
मैंने mana है परिवार use, todunga न यह kasam कभी।

सोचा था aab कभी kahi, न dekhongअ, न doonga kasht कभी,
akele ही chal loonga, बॉस yuhi,
पर pata नहीं kya ichha है uski भी, chain lene deta मुझे नहीं,
हर पल हर दिन de deta है, मुझे nayi musibat कोई,
मैं बॉस use kehta raha, ja khush रह aab tu yaar मेरे,
भूल ja मुझे, जैसे मैं जीवन मैं था ही नहीं,
मैं भी jee loonga जीवन apna, जैसे मैं pehle jeeta था,

जब तक थे तुम जीवन मैं मेरे, सब कुछ नवीन सा लगता था...

आगे kya hoga pata नहीं, kaise यह जीवन beetega,
न पथ है कोई, ichha न कोई, न लक्ष्य कoi जो jeetega,
पर dekhta हूँ, हर पल मैं तुम्हे, जब तुम nayi uchai पर pahuchoge,
mana मैं न rahunga वहां, पर दिल kehta है तुम dhundoge,
us वक़्त, नहीं pata kahan से मैं, तुम्हे nazar तब aaonga,
मैं साथ तुम्हारे rahu न rahu, पर दिल से तोह साथ nibhaonga,

तोह jao तुम, आगे तोह bado, apna नवीन परिवार chuno,
लक्ष्य किसी का lekar तुम, aab apna कोई sapna तोह buno,
फिर dekho जीवन kaise तुम्हे, naye नवीन rup dikhata है,
baas करता हूँ itni dua rab से, sach, sach और sirf sach है yehi,
bhagwan न kare की mile तुम्हे, अपने परिवार मैं apna सा कोई,
jisko तुम dekho कभी kahi, kehna pade तुम्हे yehi....

जब तक तुम थे जीवन मैं मेरे, सब कुछ नवीन सा लगता था....
जब तक तुम थे जीवन मैं मेरे, सब कुछ नवीन सा लगता था....



Friday, June 24, 2011

जीना सीख लिया

जब संध्या की लाली माँ, इस जग पर छा जाती है
तब भय की छाया सी, क्यूँ मेरे मेरे मान पर छा जाती है
जब निकलता हूँ पथ पर मैं, लक्ष्य व्यर्थ सा लगता है
हर गली, हर नुक्कड़ पर, कोई भक्षक सा लगता है
जिसे देखो यह सोच रहा हो, मैं कहाँ को जाता हूं
क्या मेरे है पास अभी, और क्या मैं ले जाता हूं
मनो सब इस तक मैं हो, के लौट के जब हम आयेंगे
शेर, सियार, चीते की तरह यह हम कओ खा जायेंगे
पर इस नवीनतम जंगल मैं, जहाँ सब एक से दीखते हैं
अपने जीवन ka नीरवअह karne को, इन सब से बचने कओ
जीवन सञ्चालन करने को , हमने भी जीना सीख लिया
इन सबसे बचने कओ ही, हमने भी चहिन् न सईख liya